TOD एक सस्टेनेबल अर्बन प्लानिंग स्ट्रेटेजी है जो पब्लिक ट्रांसपोर्ट नोड्स के आसपास हाउसिंग, नौकरियों और सुविधाओं को बढ़ावा देकर ग्रोथ को बड़े पैमाने पर ट्रांजिट के साथ जोड़ती है। इसका उद्देश्य पब्लिक ट्रांसपोर्ट के उपयोग को बढ़ावा देना और मिक्स्ड लैंड के उपयोग के माध्यम से राज्य सरकार के लिए ज्यादा से ज्यादा रेवेन्यू पैदा करना है। उत्तर प्रदेश (UP) नोएडा और गाजियाबाद में नामित TOD जोन के माध्यम से इस अवसर का ज्यादा से ज्यादा फायदा उठाने की प्लानिंग कर रहा है। इस आर्टिकल में हम आपको यूपी TOD पॉलिसी के साथ-साथ नोएडा और गाजियाबाद पर पड़ने वाले इसके प्रभाव के बारे में भी बताएंगे।
उत्तर प्रदेश TOD पॉलिसी: प्रमुख ज़ोन्स
2022 में लागू की गई यूपी TOD नीति के अनुसार, बस रूट्स और मेट्रो कॉरिडोर जैसे इंट्रा-सिटी मास ट्रांजिट सिस्टम के 500 मीटर के भीतर की जगह को टीओडी ज़ोन माना जाता है। यह मेट्रो और रैपिड रेल जैसे इंटरसिटी ट्रांजिट सिस्टम के लिए कॉरिडोर्स के प्रत्येक तरफ 1.5 किमी तक बढ़ाई गयी है।
यूपी टीओडी पॉलिसी नोएडा और गाजियाबाद दोनों के लिए अत्यधिक महत्व रखती है। गाजियाबाद के लिए, ऑपरेशनल 17 किमी रैपिड रेल नेटवर्क प्रमुख टीओडी ज़ोन बनाता है। नोएडा टीओडी पॉलिसी के मामले में, फोकस जेवर इंटरनेशनल एयरपोर्ट और संबंधित ट्रांजिट सिस्टम पर है जिसमें रैपिड रेल, टैक्सी, एक्सप्रेसवे और मेट्रो शामिल हैं। ग्रेटर नोएडा वेस्ट से होते हुए जेवर इंटरनेशनल एयरपोर्ट तक 72 किलोमीटर लंबा रैपिड रेल कॉरिडोर और नोएडा में परी चौक से 28 किलोमीटर लंबा लाइट रेल टीओडी ज़ोन के रूप में काम करेगा। इसके अतिरिक्त, यमुना एक्सप्रेसवे अथॉरिटी मास्टर प्लान 2041 के अनुसार, नियो मेट्रो रूट के 500 मीटर के भीतर के ज़ोन्स को TOD ज़ोन्स माना जाता है।
2025 तक, मेरठ से दिल्ली के सराय काले खां तक नमो भारत कॉरिडोर चालू हो जाएगा और अधिक एरियाज को टीओडी जोन के अंतर्गत लाया जाएगा। वर्तमान में, यूपी में मुरादनगर के पास 376 हेक्टेयर, दुहाई में 720 हेक्टेयर, गुलधर में 818 हेक्टेयर, साहिबाबाद स्टेशन के पास 650 हेक्टेयर और गाजियाबाद के साथ 477 हेक्टेयर भूमि निर्धारित टीओडी ज़ोन हैं।
उत्तर प्रदेश TOD पॉलिसी से फायदा क्या होगा?
इन ज़ोन्स में डेवलप्ड होने वाले मिक्स्ड लैंड यूज़ प्रोजेक्ट से रेवेन्यू में इजाफा होने की उम्मीद है। उदाहरण के लिए, गाजियाबाद के मोदीनगर साउथ तक पहुंचने वाले 45 किलोमीटर लंबे नमो भारत कॉरिडोर से टीओडी ज़ोन प्रोजेक्ट्स से 1,500 करोड़ रुपये की सालाना आमदनी होने का अनुमान है।
इन ज़ोन्स में फ्लोर-एरिया रेशियो (FAR) मौजूदा 1.5 फीसदी से बढ़कर 33-50 फीसदी हो जाएगा। परिणामस्वरूप रेवेन्यू में लगभग 200 प्रतिशत का इजाफा देखा जा सकता हैं। रेवेन्यू को गाजियाबाद डेवलपमेंट अथॉरिटी (GDA) और NCR ट्रांसपोर्ट कारपोरेशन (NCRTC) के बीच समान रूप से बांटने का इरादा है। दरअसल, राज्य सरकार ऐसे मिक्स्ड लैंड यूज़ प्रोजेक्ट्स को प्रोत्साहित करने के लिए लाइसेंस जारी करने की प्रक्रिया में तेजी लाने की प्लानिंग कर रहा है।
TOD ज़ोन्स का इम्पैक्ट: क्या हैं निवेशकों के लिए
GDA और NCRTC ने पांच रेवेन्यू केटेगिरीज की रूपरेखा तैयार की है: एक्सटर्नल डेवलपमेंट चार्ज, स्टांप ड्यूटी, खरीद योग्य FAR, FAR और रैपिड रेल लाइन के 1.5 किमी के भीतर कमर्शियल हब डेवलप करना। इन केटेगिरीज के माध्यम से, उन्हें प्रोजेक्ट लागत के 30,000 करोड़ रुपये से अधिक की रिकवरी की उम्मीद है।
शहर के बाकी हिस्सों में इंडस्ट्रियल सेक्टर्स के लिए FAR एक से 1.5 तक है, लेकिन इन ट्रांजिट ज़ोन्स से यह 2.5 होने की उम्मीद है। वहीं, कमर्शियल केटेगरी में FAR चार तक पहुंच सकता है।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, रुद्राभिषेक एंटरप्राइजेज (ग्रेटर नोएडा मास्टर प्लान 2041 के निर्माता) के बिजनेस हेड प्रभाकर कुमार ने कहा कि बढ़े हुए टैक्स और FAR के मिश्रण से रेवेन्यू 60-70 फीसदी तक बढ़ सकता है। इसका इम्पैक्ट स्टेशनों के निकट रेसीडेंशियल और कमर्शियल डेवलपमेंट वाले एरियाज में और भी अधिक प्रमुख होगा।